Saturday, December 14, 2019
अफजल का गम
Thursday, November 7, 2019
न्यायमन्दिर के पंडे
Tuesday, November 5, 2019
दिल्ली पुलिस बनाम विधि व्यवसायी
Wednesday, October 9, 2019
सेकुलरिज्म
अजान दो, खुल कर दो..मस्जिद से दो, मंदिर से दो, पूजा पण्डाल से दो, गौशाला से दो, अस्तबल से दो, शूकर बाड़े से दो..हमें कोई ऐतराज नहीं।
यह सेक्युलर भारत है, सबको बराबर की आजादी है। जिसका जहां मन करेगा वहां नमाज पढ़ेगा, जहां से मन करेगा अजान देगा, जहां मन करेगा, कुर्बानी देगा. इसमें किसी को कोई परेशानी नहीं।
लेकिन एक शंका है। जो अक्सर तुम गंगा-जमुनी तहजीब की बात कहते हो, उसमे ये दोनों नदियां ही हैं न.? तो तय कर लिया है तुमने, कि तुम कौन वाली नदी हो.? तुम गंगा हो या यमुना.? तुम ही बता दो पहले तो ठीक रहेगा, काहे से कि जो बचेगा हम उसी को मान लेंगे कि हम वही हैं।
लेकिन फिर एक दिक्कत होगी। अगर जो बचेगा वह हम होंगे, तब यह भी तय हो जायेया कि हम भी हैं। और अगर हम भी होंगे तब तो बिना हमारे यह संस्कृति दजला-फरात वाली ही हो जायेगी। वैसे दजला-फरात वाली भी कहीं से तुम्हारी नहीं थी, क्योंकि तब तो तुम पैदा भी नहीं हुए थे। खैर, अब तो तुम पूरी दुनियां को ही अपनी जागीर समझते हो.!
भूल गया था (यह भी तुम्हारी संगत का असर है जो हम खुद को सदियों तक भूले रहे), बात हो रही थी कि गंगा-जमुना में हम कौन हैं.? या दोनों ही तुम हो.? तुम ही तुम..केवल तुम.!
अगर हमें भी हमारी पहचान बचाये रहने देने की कृपा करो तो मेरी इल्तिजा है कि बराबरी के सिद्धांत के अनुसार हमें भी इजाजत दो कि हम भी मस्जिद भांगड़ा कर सकें, वहां भंडारा कर सकें, वहां कीर्तन कर सकें, शंख बजा सकें..
लेकिन तुम्हें यह सब पसन्द नहीं आयेगा और हो सकता है कि मेरी इस हिमाकत के बदले तुम मेरी गर्दन ही कतर डालो। क्योंकि गर्दन कतरना तुम्हारी फितरत है, बहुतों की कतर चुके हो, तो मेरी क्या औकात.? पर..तुम्हें अपने ही खुदा का वास्ता..ये सेक्युलरिज्म का फर्जी पाठ पढ़ाना बंद कर दो प्लीज..
दुर्गा-पूजा पण्डाल में नमाज/अजान देना जायज और नुसरत जहां का वहां जाना गैर-इस्लामी.! इतनी बेशर्मी लाते कहां से हो यार.?!
Friday, June 7, 2019
रमजान और शांतिदूत और हम
ढाई साल की मासूम बच्ची ट्विंकल शर्मा को रमजान के पाक(?) महीने में एक शांतिदूत रोजेदार मुहम्मद जाहिद ने बलात्कार कर मार दिया। उसकी आंखें नोचकर निकाल लीं, उसके हाथ पैर काट दिये, उसके गुप्तांगों में चाकू से वार किये, उसका पेट फाड़ दिया..फिर उसके शव को कुत्तों के खाने के लिए फेंक दिया।
विश्वास नहीं होता कि कोई मनुष्य इतना वीभत्स आचरण कैसे कर सकता है.? लेकिन वह तो मनुष्यता से ऊपर उठ चुका था, शांतिदूत था न..
ट्विंकल की पीएम रिपोर्ट के कुछ प्रमुख बिंदु उस शांतिदूत जाहिद द्वारा मासूम ट्विंकल के साथ किये गये पैशाचिक आचरण को स्वतः स्पष्ट करते हैं-
⭕ बच्ची के शरीर मे छोटी व बड़ी आंत मिली ही नहीं।
⭕ बच्ची के शरीर मे किडनी मिली ही नहीं।
⭕ यूरिनरी ब्लैडर मिला ही नहीं।
⭕ जेनिटल्स मिले ही नहीं।
⭕ बच्ची की आंखें थी ही नहीं।
⭕ बच्ची के हाथ-पैर उसकी मृत्यु से पूर्व ही काटे गये थे।
यह सिर्फ और सिर्फ मजहबी कट्टरता से परिपूर्ण जघन्य अपराध है जिसकी जड़ में इन शन्तिदूतों के अंदर बैठी हिन्दू विरोधी मानसिकता है, लेकिन हमारे देश का मेन स्ट्रीम मीडिया मौन है। क्यों.? क्योंकि हत्यारा शांतिदूत कौम का है और बच्ची हिन्दू है। हमारी तथाकथित सेक्युलर मीडिया के लिये सेक्युलरिज्म हिंदुओं के विरुद्ध शांतिदूतों द्वारा किये जा रहे इन अपराधों से बढ़कर है, इसीलिये ऐसे हर मौके पर मीडिया मुंह फेरकर बैठ जाता है। यही मीडिया गुड़गांव में एक शांतिदूत को थप्पड़ मारने और पिटाई की झूठी कहानी को प्राइम टाइम स्लॉट देकर हफ्ते भर चलाकर हिंदुओं को असहिष्णु दिखाकर उन्हें अपराधबोध से ग्रस्त करने में लग जाता है।
सोचने वाली बात यह भी है कि शन्तिदूतों द्वारा हिंदुओं के प्रति ऐसी जघन्य अपराधों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है। देखना है कि हिन्दू समाज कब चेतेगा और एकजुट होकर ऐसे हिन्दू विरोधी आचरण व अपराधों के विरुद्ध मुखर प्रतिक्रिया देगा.?
सरकार, पुलिस, प्रशासन और न्यायपालिका तो घटना हो जाने के बाद ही कुछ कर सकते हैं। हिन्दू समाज की ओर से आने वाले त्वरित तीखे प्रतिकार का भय ही ऐसी घटनाओं को घटित होने से रोक सकता है। मुर्गे और बकरी आदि मारकर इसीलिये खाये जाते हैं क्योंकि वे प्रतिकार नहीं करते। शेर और बाघ को मारकर इसलिये नहीं खाया जाता क्योंकि वे प्रबल प्रतिकार करते हैं। हम बकरी से शेर कब बनेंगे, देखना है।
Thursday, May 9, 2019
मुगलिस्तान बनने के कगार पर ममता का वेस्ट बंगाल..
अमेरिका से आयी वेस्ट बंगाल के बारे में ऐसी खौफनाक रिपोर्ट, जो हर राष्ट्रवादी भारतीय के रोंगटे खड़े कर देगी..
कभी भारतीय संस्कृति व अस्मिता का प्रतीक माने जाने वाले बंगाल की वर्तमान दशा किसी से छिपी नहीं है। हिन्दुओं के विरुद्ध साम्प्रदायिक षडयंत्र तो वहां लंबे समय से चल रहे हैं, अब तो हिंदुओं के त्यौहार मनाने तक पर रोक लगायी जानी शुरू हो गयी है।
प्रसिद्ध अमेरिकी पत्रकार जेनेट लेवी ने गहन अध्ययन के बाद अपने लेख में सप्रमाण दावा किया है कि "भारत से अलग होकर वेस्ट बंगाल जल्द बनेगा एक अलग इस्लामिक देश।"
लेवी ने लिखा है कि कश्मीर के बाद अब बंगाल में गृहयुद्ध शुरू होने वाला है, जिसमें बड़े पैमाने पर हिन्दुओं को कत्ल किया जायेगा और भारत से अलग मुस्लिम देश की मांग की जायेगी। स्पष्टतः भारत का एक और खूनी विभाजन होगा और यह ममता बनर्जी की सहमति से होगा। जेनेट लेवी ने अपने लेख में इस दावे के पक्ष में तमाम तथ्य भी दिये हैं।
उन्होंने लिखा है कि “बंटवारे के समय भारत के हिस्से वाले पश्चिमी बंगाल में मुसलमानों की आबादी 12 प्रतिशत ही थी, जबकि पाकिस्तान के हिस्से में गये पूर्वी बंगाल में हिंदुओं की आबादी करीब 30 प्रतिशत थी। आज पश्चिम बंगाल में मुस्लिम जनसंख्या 27 प्रतिशत हो चुकी है, कुछ जिलों में तो यह 63 प्रतिशत तक हो गयी है। दूसरी ओर बांग्लादेश में हिंदू जनसंख्या 30 से घटकर केवल 8 प्रतिशत ही रह गयी है।”
जेनेट का यह लेख ‘अमेरिकन थिंकर’ मैगजीन में छपा है। यह लेख उन सारे देशों के लिये एक स्पष्ट चेतावनी है, जो अपने देश के दरवाजे मुस्लिम शरणार्थियों के लिये खोल रहे हैं।
जेनेट लेवी ने सटीक विश्लेषण करते हुए लिखा है कि "किसी भी समाज में जब मुसलमानों की आबादी 27 प्रतिशत हो जाती है तब वह शरिया कानून लागू करने और अपने लिये अलग इस्लामी देश बनाने का काम शुरू कर देते हैं और इसके लिये सबसे पहले गैर मुस्लिमों का कत्लेआम किया जाता है, पश्चिम बंगाल इसका सबसे ताजा उदाहरण है।" लेवी आगे लिखती हैं- "ममता बनर्जी के लगातार चुनाव जीतने का कारण वहां के मुसलमान ही हैं, बदले में ममता उनके हित की नीतियां बनाती है। ममता ने वेस्ट बंगाल में सऊदी अरब से फंड पाने वाले 10 हजार से ज्यादा मदरसों को मान्यता दे दी है और उनकी डिग्री को सरकारी नौकरी में मान्य कर दिया है, इन सारे ही मदरसों में वहाबी कट्टरता की शिक्षा दी जाती है और गैर मुस्लिमों से नफरत की बातें बतायी जाती हैं।"
जेनेट ने आगे लिखा है- "ममता ने मस्जिदों के इमामों के लिए तरह-तरह के वजीफे भी घोषित किये हैं, जबकि हिन्दू मंदिरों और संस्थाओं को दी गयी सुविधाओं में भारी कटौती की है। यही नहीं, ममता ने वेस्ट बंगाल में एक 'इस्लामिक सिटी' बसाने का प्रोजेक्ट भी शुरू किया है। पूरे वेस्ट बंगाल में मुस्लिम मेडिकल कालेज, टेक्निकल और नर्सिंग स्कूल खोले जा रहे हैं जिनमें मुस्लिम छात्रों को ही सस्ती शिक्षा मिलेगी। मुसलमान नौजवानों को मुफ्त साइकिल से लेकर लैपटॉप तक बांटने की स्कीमें चल रही हैं जबकि बेहद गरीबी में जी रहे लाखों हिंदू परिवारों को ऐसी किसी योजना का फायदा नहीं दिया जाता।"
जेनेट ने स्पष्ट रूप से इन सारी समस्याओं के लिये इस्लाम को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने लिखा है कि "कुरान में ही यह खुलकर कहा गया है कि दुनिया में इस्लामिक राज स्थापित हो। इसीलिये दुनिया भर में संख्या बढ़ने के साथ ही मुस्लिम लोग अपने कानून और इस्लामिक देश के एजेंडे पर काम करने लगते हैं। वेस्ट बंगाल में 2007 में पहली बार मुस्लिम संगठनों ने इस्लामी ईशनिंदा (ब्लासफैमी) कानून की मांग शुरू की थी, तब तस्लीमा नसरीन को वहां से जाना पड़ा था। 2013 में कुछ कट्टरपंथी मौलानाओं ने अलग ‘मुगलिस्तान’ की मांग शुरू कर दी, इस सिलसिले में दंगे हुए जिनमें सैकड़ों हिंदुओं के घर व दूकानें लूटी गयीं और कई मंदिरों को भी तोड़ दिया गया। इन दंगों के दौरान सरकार द्वारा पुलिस को स्पष्ट आदेश दिये गये कि वह दंगाइयों के खिलाफ कोई भी कठोर कदम न उठाये।"
लेख में आगे बताया गया है कि "हिंदुओं को भगाने के लिये सिर्फ दंगे ही नहीं होते, जिन जिलों में मुसलमानों की संख्या ज्यादा है, वहां के मुसलमान बाकायदा मीटिंग करके हिंदू कारोबारियों का बायकॉट करते हैं। मालदा, उत्तरी दिनाजपुर और मुर्शिदाबाद आदि जिलों में कोई भी मुसलमान हिंदुओं की दूकानों से सामान नहीं खरीदता। यही वजह है कि वहां से बड़ी संख्या में हिंदुओं का पलायन होना शुरू हो चुका है, कश्मीरी पंडितों की ही तरह यहां से भी हिन्दुओं को अपने घर और कारोबार छोड़कर दूसरी जगहों पर जाना पड़ रहा है। यह वो जिले हैं, जहां हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं।"
इसके आगे जेनेट ने लिखा है कि "ममता बनर्जी ने तो अब बाकायदा आतंकवाद समर्थकों को संसद में भेजना तक शुरू कर दिया है। जून 2014 में ममता बनर्जी ने अहमद हसन इमरान नाम के एक कुख्यात जिहादी को अपनी पार्टी के टिकट पर राज्यसभा सांसद बनाकर भेजा था जो प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का सह-संस्थापक रहा है। हसन इमरान पर आरोप है कि उसने शारदा चिटफंड घोटाले का पैसा बांग्लादेश के जिहादी संगठन जमात-ए-इस्लामी तक पहुंचाया ताकि बांग्लादेश में दंगे भड़काये जा सकें। इसके विरुद्ध अभी भी एनआईए और सीबीआई की जांच चल रही है, इसके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी रिश्ते होने के आरोप हैं।"
तो..अब अति सतर्क हो जाने का समय है, इन 'आसमानी किताब' के अनुयायियों से और ममता जैसे नेताओं से भी। सतर्क रहिये, सुरक्षित रहिये..
जेनेट लेवी का पूरा लेख यहां पढ़ा जा सकता है- http://www.americanthinker.com/articles/2015/02/the_muslim_takeover_of_west_bengal.html
Sunday, May 5, 2019
श्रीलंका आतंकी हमला और भारत
श्रीलंका में हुए आतंकी हमलों का भारत पर प्रभाव..
आतंकी हमलों के बाद श्रीलंका ने बहुत ही कठोर कदम उठाये हैं, वहां मस्जिद और मदरसों को बैन कर दिया है। ये इमारतें तो रहेंगी पर खाली रहेंगी, इनमें कोई भी गतिविधि नहीं होगी। पूरे श्रीलंका में लगभग 500 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिनकी #सामुदायिक_पहचान लंका सरकार द्वारा नहीं बतायी गयी है। कुछ पता नहीं कि ये अब कहां हैं और वापस अपने घरों को जा पायेंगे भी या नहीं।
श्रीलंका अब #Full_Detoxification प्लान कर रहा है अर्थात #Ethnic_Cleansing जैसा म्यांमार ने किया था और इसमें वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय संस्था- मानवाधिकार आयोग या UN की भी परवाह करने के मूड में नहीं हैं।
जाहिर है दबाव बढ़ने पर इन #अवांछित_शांतिदूतों का पलायन भारत के दक्षिणी राज्यों की ओर होगा और यहां तो उन्हें अपने आगोश में लेने के लिये तमाम लोग बाहें फैलाये आतुर हैं, जैसा कि पूर्वोत्तर भारत के जनसांख्यिकीय संतुलन को बरबाद करने की नीयत से बांग्लादेश और रोहिंग्या से आने वाले #कोढ़_जनसमुदाय के मामले में हो चुका है।
याद रखिये, #आसमानी_किताब में निर्धारित लक्ष्यों में सबसे बड़ा और अप्राप्त लक्ष्य आज भी #गजवा_ए_हिन्द ही है और श्रीलंका में हुए हमलों का एक मकसद इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये #आसमानी_कीड़ों को भारत में घुसाना भी है ताकि #गजवा_ए_हिन्द के एक चरण #Plan_Southern_India को पूरा किया जा सके।
शुक्र मनाइये कि वर्तमान में भारत में #रामसेतु के अस्तित्व तक को नकार देने और उसे तोड़ने का आदेश देने वाली नहीं, बल्कि ऐसी सरकार है जो इन खतरों को जानती-समझती है और इनसे निबटने में सक्षम भी है।
Wednesday, May 1, 2019
बनारसी दंगल
Dismissal of a Central or State Government employee on grounds of corruption or disloyalty, operates as a disqualification against contesting an election for five years. He is required to submit a certificate from the organization to the effect that he was not dismissed on these two grounds, but in Varanasi dismissed constable Tej Bahadur Yadav has not submitted any such certificate.
Why do some people think that he should be dealt differently simply coz he is contesting against Modi ji.? Law has to be applied equally against everybody.
Tuesday, April 30, 2019
बनारसी दंगल
1. BSF में होने के बावजूद यह घोर अनुशासनहीन था। 2010 में इसने अपने सीनियर आफिसर पर रायफल तान दी थी, जिसके लिये उसका कोर्ट मार्शल हुआ और इसे 89 दिन की दलेल मिली थी। तब इसके परिवार और बच्चों पर तरस खाते हुए इसे बर्खास्त नहीं किया गया था।
2. यह भयंकर दारूबाजी (Chronic Alchoholism) का मरीज था, इसका इलाज भी कराया गया था।
3. मेहनत और खतरनाक ड्यूटी से बचने के लिए यह अक्सर Catageory Down (यह मेडिकल टर्म है, जो जवान की मेड़िकल अवस्था बताता है) कराके मजे मारता था। इसकी जांच करायी गयी तो पाया गया कि वह सैन्य टास्क पूरा करने में शारीरिक और मानसिक रुप से पूर्ण स्वस्थ है।
4. इसे BOPs (Sensitive Border Out Post) पर महज 10 दिन के लिए प्रतिनियुक्त किया गया था। पोस्ट दुर्गम स्थान पर थी जहां कैंटीन की सुविधा सम्भव ही नहीं थी। इसी दौरान इसने सोशल मीडिया पर #बिना_तड़के_वाली_दाल और पराठा वाली वीडियो पोस्ट कर पूरे विश्व को दिखाया कि भारतीय सेना को ऐसा खाना मिलता है और भारतीय सैनिक भूखे मर रहे हैं।
5. इसके पहले ही सितंबर 2016 में इसने VRS के लिये आवेदन कर दिया था और 31 जनवरी 2018 को उसे VRS मिलने वाली भी थी। पर जाते-जाते भी इसने भारतीय सेना की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुंचाने का दुष्प्रयास किया, जिस पर 30 जनवरी को उसकी VRS रद्द कर कोर्ट ऑफ इंक्वारी शुरु की गयी। इंक्वायरी में पाया गया कि-
👉 फेसबुक पर इसके 39 सक्रिय फेक एकाउंट थे जिनमें तमाम आपत्तिजनक पोस्ट थीं। आखिर एक सैन्यकर्मी के लिये इतने सारे फेसबुक एकाउंट्स की क्या जरूरत थी.?
👉 इसके फेसबुक एकाउंट में इसके 3000 फ्रैंड थे जिनमें 500 के लगभग पाकिस्तानी थे। भारत की सेना में कार्यरत और कश्मीर जैसी जगह पर पोस्ट व्यक्ति की पाकिस्तान के लोगों से मित्रता न सिर्फ हैरत में डालती है बल्कि उसे संदिग्ध भी बनाती है, पता नहीं उनमें कितने आइएसआइ के लोग होंगे। 👉 यह ऑनड्यूटी दो मोबाइल रखता था और सोशल मीडिया पर Location & Pictures पोस्ट कर सैन्य बल की SOP (Standard Operating Procedure) का उल्लंघन करता था।
👉 निःसंदेह तेज बहादुर किन्हीं और लोगों का #मोहरा था जो उसके माध्यम से भारत और भारतीय सेना के विरुद्ध कई लक्ष्य साधना चाह रहे थे, किन्तु सब फेल हो गया और इसे #बर्खास्त कर दिया गया।
👉 भारतीय सेना का #दोषसिद्ध_अपराधी अब सेटिंग के तहत #सैनिक_आक्रोश के नाम पर फिर से #लांच कर दिया गया है, वह भी उस शख्सियत के विरुद्ध जिसने महज 5 वर्ष में भारतीय सेना को हर तरह की सुविधा एवं क्षमता से लैस कर उसकी आन बान शान को ऐतिहासिक बुलन्दी पर पहुंचाया है।
★ सेना की आस्तीन के इस सांप और देश के दुश्मन को बनारस से प्रत्याशी बनाकर #गठबंधन देश और जनता को क्या संदेश देना चाहता है, यह तो जनता ही बेहतर समझ और समझा पायेगी।