श्रीलंका में हुए आतंकी हमलों का भारत पर प्रभाव..
आतंकी हमलों के बाद श्रीलंका ने बहुत ही कठोर कदम उठाये हैं, वहां मस्जिद और मदरसों को बैन कर दिया है। ये इमारतें तो रहेंगी पर खाली रहेंगी, इनमें कोई भी गतिविधि नहीं होगी। पूरे श्रीलंका में लगभग 500 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिनकी #सामुदायिक_पहचान लंका सरकार द्वारा नहीं बतायी गयी है। कुछ पता नहीं कि ये अब कहां हैं और वापस अपने घरों को जा पायेंगे भी या नहीं।
श्रीलंका अब #Full_Detoxification प्लान कर रहा है अर्थात #Ethnic_Cleansing जैसा म्यांमार ने किया था और इसमें वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय संस्था- मानवाधिकार आयोग या UN की भी परवाह करने के मूड में नहीं हैं।
जाहिर है दबाव बढ़ने पर इन #अवांछित_शांतिदूतों का पलायन भारत के दक्षिणी राज्यों की ओर होगा और यहां तो उन्हें अपने आगोश में लेने के लिये तमाम लोग बाहें फैलाये आतुर हैं, जैसा कि पूर्वोत्तर भारत के जनसांख्यिकीय संतुलन को बरबाद करने की नीयत से बांग्लादेश और रोहिंग्या से आने वाले #कोढ़_जनसमुदाय के मामले में हो चुका है।
याद रखिये, #आसमानी_किताब में निर्धारित लक्ष्यों में सबसे बड़ा और अप्राप्त लक्ष्य आज भी #गजवा_ए_हिन्द ही है और श्रीलंका में हुए हमलों का एक मकसद इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये #आसमानी_कीड़ों को भारत में घुसाना भी है ताकि #गजवा_ए_हिन्द के एक चरण #Plan_Southern_India को पूरा किया जा सके।
शुक्र मनाइये कि वर्तमान में भारत में #रामसेतु के अस्तित्व तक को नकार देने और उसे तोड़ने का आदेश देने वाली नहीं, बल्कि ऐसी सरकार है जो इन खतरों को जानती-समझती है और इनसे निबटने में सक्षम भी है।
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