Friday, June 7, 2019

रमजान और शांतिदूत और हम

ढाई साल की मासूम बच्ची ट्विंकल शर्मा को रमजान के पाक(?) महीने में एक शांतिदूत रोजेदार मुहम्मद जाहिद ने बलात्कार कर मार दिया। उसकी आंखें नोचकर निकाल लीं, उसके हाथ पैर काट दिये, उसके गुप्तांगों में चाकू से वार किये, उसका पेट फाड़ दिया..फिर उसके शव को कुत्तों के खाने के लिए फेंक दिया।

विश्वास नहीं होता कि कोई मनुष्य इतना वीभत्स आचरण कैसे कर सकता है.? लेकिन वह तो मनुष्यता से ऊपर उठ चुका था, शांतिदूत था न..

ट्विंकल की पीएम रिपोर्ट के कुछ प्रमुख बिंदु उस शांतिदूत जाहिद द्वारा मासूम ट्विंकल के साथ किये गये पैशाचिक आचरण को स्वतः स्पष्ट करते हैं-

⭕ बच्ची के शरीर मे छोटी व बड़ी आंत मिली ही नहीं।
⭕ बच्ची के शरीर मे किडनी मिली ही नहीं।
⭕ यूरिनरी ब्लैडर मिला ही नहीं।
⭕ जेनिटल्स मिले ही नहीं।
⭕ बच्ची की आंखें थी ही नहीं।
⭕ बच्ची के हाथ-पैर उसकी मृत्यु से पूर्व ही काटे गये थे।

यह सिर्फ और सिर्फ मजहबी कट्टरता से परिपूर्ण जघन्य अपराध है जिसकी जड़ में इन शन्तिदूतों के अंदर बैठी हिन्दू विरोधी मानसिकता है, लेकिन हमारे देश का मेन स्ट्रीम मीडिया मौन है। क्यों.? क्योंकि हत्यारा शांतिदूत कौम का है और बच्ची हिन्दू है। हमारी तथाकथित सेक्युलर मीडिया के लिये सेक्युलरिज्म हिंदुओं के विरुद्ध शांतिदूतों द्वारा किये जा रहे इन अपराधों से बढ़कर है, इसीलिये ऐसे हर मौके पर मीडिया मुंह फेरकर बैठ जाता है। यही मीडिया गुड़गांव में एक शांतिदूत को थप्पड़ मारने और पिटाई की झूठी कहानी को प्राइम टाइम स्लॉट देकर हफ्ते भर चलाकर हिंदुओं को असहिष्णु दिखाकर उन्हें अपराधबोध से ग्रस्त करने में लग जाता है।

सोचने वाली बात यह भी है कि शन्तिदूतों द्वारा हिंदुओं के प्रति ऐसी जघन्य अपराधों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है। देखना है कि हिन्दू समाज कब चेतेगा और एकजुट होकर ऐसे हिन्दू विरोधी आचरण व अपराधों के विरुद्ध मुखर प्रतिक्रिया देगा.?

सरकार, पुलिस, प्रशासन और न्यायपालिका तो घटना हो जाने के बाद ही कुछ कर सकते हैं। हिन्दू समाज की ओर से आने वाले त्वरित तीखे प्रतिकार का भय ही ऐसी घटनाओं को घटित होने से रोक सकता है। मुर्गे और बकरी आदि मारकर इसीलिये खाये जाते हैं क्योंकि वे प्रतिकार नहीं करते। शेर और बाघ को मारकर इसलिये नहीं खाया जाता क्योंकि वे प्रबल प्रतिकार करते हैं। हम बकरी से शेर कब बनेंगे, देखना है।

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