Saturday, December 14, 2019

अफजल का गम

"तुम कितने अफजल मारोगे.? हर घर से अफजल निकलेगा..." सच कहा था उन्होंने।

इस समय मीडिया, सोशलमीडिया हर कहीं न जाने कितने वक्तव्य और वीडियो उड़ते-तैरते दिख रहे हैं जिनमें अनगिनत अफजल भारत की अस्मिता और संस्कृति को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं। कहीं ट्रेन पर पत्थर फेंके जा रहे हैं, कहीं स्कूल कालेज तोड़े जा रहे हैं तो कहीं फसलें जलायी जा रही हैं। कल जो अफजल लोकतंत्र के मंदिर पर गोलियां बरसा रहा था, वही अफजल आज देश के अलग-अलग हिस्से में तोड़फोड़-आगजनी कर रहा है।

अगर आप को लगता कि अफजल CAB 2019 से नाराज होकर सड़क पर उतरा है, तो यकीन करिये आप या तो मानसिक विकलांग हो चुके हैं या फिर आपने भी अपनी आंखों पर लिबरल चश्मा चढ़ा लिया है।

अफजल तो 2014 के लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद राष्ट्रवादियों की सरकार बनने के बाद से ही हैरान-परेशान है। क्योंकि वह सड़क पर खुलेआम गाय नही काट सकता। अफजल गमजदा है, क्योंकि उसकी मर्जी के खिलाफ ट्रिपल तलाक को बैन कर दिया गया। अफजल बौखलाया है, क्योंकि कश्मीर से धारा 370 और 35A हटा दी गयी और अफजल गुस्से में है, क्योंकि वो चाहकर भी सुप्रीम कोर्ट के राममंदिर के पक्ष मे दिये गये निर्णय के विरोध में कुछ नहीं कर सकता।

अफजल के लिये CAB_2019 तो सिर्फ एक बहाना है। उसका असल मकसद तो उसकी अनचाही मौजूद सरकार को अपनी धमक/ताकत दिखाना है। याद करिये, जब अफजल ने लोकतंत्र के मंदिर संसद पर गोलियां चलायीं थीं, तब भी यही सरकार थी। अब CAB_2019 के बहाने अफजल अपने उस पुराने रसूख को पाना चाहता है जो उसे बाबर, अकबर, औरंगजेब, गौरी, इब्राहीम लोधी और जिन्ना ने दिया था। जिस रसूख से वो आजाद भारत में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय (शाहबानो केस) को भी बदलवाने का दम रखता था।

अफजल जानता है कि नागरिकता संशोधन बिल 2019 से देश के किसी मुसलमान की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, उसे हिन्दुस्तान से निकाला नहीं जायेगा। उसे बखूबी पता है कि नागरिकता संशोधन बिल पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के पीड़ित अल्पसंख्यको को सुरक्षित स्वदेश वापस लाने के लिये ही है और इन तीनों देशों में कुल मिलाकर भी मुठ्ठी भर ही हिन्दू या अल्पसंख्यक बचे हैं, जिनके भारत आ जाने से न तो अब्दुल कलाम सरीखे मुसलमान का घर छिनेगा न ही रोजगार।

लेकिन, अफजल ये भी जानता है कि अभी नहीं तो कभी नहीं..

अगर आज उसने औरंगजेब की तरह तोड़फोड़ नहीं मचायी, तो छत्रपति शिवाजी और महाराणा प्रताप की भूमि पर उसकी आतंक की बादशाहत हमेशा के लिये खत्म हो जायेगी। हिन्दुस्तान की सियासत में उसकी हैसियत मिट जायेगी जिसका असर सारी दुनिया पर होगा क्योंकि उसकी पैदाइश ही हिंसा से हुई है और अबतक सारी उपलब्धियां भी उसने लोगों को डराकर मार-काट के दम पर ही हासिल की हैं।

पर शायद अफजल कुछ भूल रहा है। वह भूल रहा है कि राणा प्रताप और शिवाजी के वंशजों का धैर्य अब खत्म हो चला है। वह भूल रहा है कि भारतीय जनमानस अब जान चुका है कि आजादी सिर्फ गांधी के चरखे से ही नहीं मिली थी, उसमें चंद्रशेखर आजाद और सुभाष चंद्र बोस सरीखों की गोली का भी योगदान था। अफजल भूल रहा है कि अब देश में राष्ट्रवादी सरकार है, जिसका नेतृत्व कुशल और सबल चाणक्य बुद्धि के पास है।

और..

अफजल भूल रहा है कि गोधरा Action नहीं था, सिर्फ ReAction था..😡

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