Thursday, June 10, 2021

कांग्रेस का हिन्दुत्व_दमन..

बात 1955 की है.. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित(?) नहरू के निमंत्रण पर सऊदी अरब के सुल्तान शाह_सऊद भारत आये थे। 4 दिसम्बर 1955 को वह दिल्ली पहुंचे, पूरे शाही अंदाज में उनका स्वागत-सत्कार किया गया और उनके दिल्ली से धर्म नगरी वाराणसी जाने के लिये भारत सरकार ने शाही_कोच के साथ एक स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था की।

यहां तक कुछ भी गलत नहीं था.. किसी भी राष्ट्रप्रमुख का उचित स्वागत और सम्मान होना ही चाहिये, उनका भी हुआ। कांग्रेस का #निकृष्ट कर्म तो इसके बाद आता है..

शाह सऊद जितने दिन वाराणसी में रहे उतने दिनों तक बनारस की सभी सरकारी इमारतों पर कलमा_तैय्यबा लिखे हुए झंडे लगाये गये थे और वाराणसी में जिन-जिन रास्तों/सडकों से शाह सऊद को गुजरना था, उन सभी में पड़ने वाले मंदिरों और मूर्तियों को परदे से ढकवा दिया गया था। यह था कांग्रेस का घृणित हिन्दुत्व_दमन..

शाह की इस यात्रा को लेकर उस समय के मशहूर शायर नजीर_बनारसी ने इस्लाम की तारीफ और हिन्दुओं पर तंज कसते हुए एक शेर कहा था-

"अदना सा गुलाम उनका, 
गुजरा था बनारस से..
मुंह अपना छुपाते थे, 
काशी के सनमखाने..!"

सोचिये, क्या आज मोदीयुग में किसी भी बड़े से बड़े तुर्रमखां के लिये ऐसा किया जा सकता है.? आज बड़े-बड़े ताकतवर देशों के प्रमुख भारत आते हैं और उनको वाराणसी भी लाया जाता है। लेकिन अब मंदिरों और मूर्तियों को उनसे छुपाने के लिये ढका नहीं जाता, बल्कि उन विदेशियों को गंगा_आरती दिखायी जाती है, उनसे पूजा करायी जाती है और अब उसी सऊदी अरब के सुल्तान की बेगम श्रीराम की मूर्ति अपने सर पर उठाकर स्थापना कराती है..

और कितने अच्छे_दिन चाहिये मूढ़मति_हिन्दुओं.?! 😡

 जय_हिन्द

No comments:

Post a Comment