Friday, July 9, 2021

प्रायोजित लव_जिहाद और हिन्दू_मुर्गियां..

पिछले दिनों लगभग सारे भारतीय मीडिया ने आमिर_खान और किरन_राव के तलाक का महिमामंडन करते हुए ऐसे दिखाया, जैसे यह कोरोना_वैक्सिनेशन से भी बड़ी खबर है। एक वर्ग ने इनसे सहानुभूति दिखायी और अति उत्साही राष्ट्रवादियों ने लव_जिहाद कहकर इसकी भर्त्सना की..

मेरी दृष्टि में आमिर खान और किरन राव का मामला केवल लव जिहाद का नहीं है। किरन राव कभी भी न तो इसमें फंसी थी, न ही अब इससे मुक्त हुई है। वास्तव में यह पूरा घटनाक्रम शुरु से ही आमिर खान का एक प्रायोजित_कार्यक्रम था और किरन राव इसमें बस अपना रोल_प्ले कर रही थी। 

किरन को आगे करके आमिर ने पहले लव_जिहाद को प्रमोट किया, फिर सरोगेसी को और अब 30 करोड़ में उसे तलाक देकर तलाक को प्रमोट कर रहा है। यह फिल्मी लोग कोई भी प्रमोशन फ्री में नहीं करते और भारत में इस टाइप के प्रमोशन के लिये तो आधी दुनिया के शांतिदूत खजाना खोले तैयार रहते हैं। वैसे सभी को मेहनताना देने के बाद भारी-भरकम बजट वाली इस प्रायोजित_फिल्म की शूटिंग फिलहाल खत्म हो गयी है।

कटु सत्य यह भी है कि ऐसे फिल्मी निकाह या तलाक से कभी भी किसी शर्मिला_टैगोर, अमृता_सिंह, करीना_कपूर या किरन_राव को ज्यादा दिक्कत नहीं होती। इस घटिया प्रमोशन से असल दिक्कत होती है इनकी देखा-देखी किसी आमिर पर भरोसा कर लेने वाली गांव_देहात की किरनों को। उनकी स्थिति उस मुर्गी जैसी होती है जिसे अंडे देने तक तो रोज बढ़िया पौष्टिक दाने खिलाये जाते हैं और अंडे देने बन्द करने के बाद मालिक काटकर उसका मांस भी बेंच देता है। 

इन फिल्मी कहानियों को सच मानकर इस जिहाद में फंसी इन बेचारी किरनों का मांस तो बिकेगा नहीं, तो ऐसी आम हिन्दू लड़कियों को आखिरी पनाह टुकड़ों में कटकर बोरी या सूटकेस में ही मिलती है। पैसों के लिये फिल्मी शूटिंग की तरह निकाह और तलाक का ढोंग करती है कोई किरन राव, पर उसका दण्ड भोगती है कोई नैना मंगलानी, कोई शिल्पी, कोई उषा, कोई सरिता या कोई और...

इस घिनौने प्रायोजित खेल को रोकने का एकमात्र तरीका यही है कि हम अपनी बच्चियों को अपने धर्म, अपनी परम्पराओं की शिक्षा दें, परिवार का महत्व बतायें और समझायें कि किससे प्रेम किया जाना चाहिये और किससे घृणा करनी चाहिये..

जी हां.. प्रेम की तरह घृणा भी जीवन का एक अनिवार्य भाव है और अब स्वीकार करना ही होगा कि पाप से घृणा करने के साथ-साथ पापी से घृणा करना भी ज्यादा जरूरी है..

जय_हिन्द

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