Sunday, September 26, 2021

कुकुरमुत्ता पार्टियां और कांग्रेस का प्रपंच

यूपी में अगले साल चुनाव हैं और हर चुनाव के समय तमाम पार्टियां कुकुरमुत्तों की तरह पैदा हो जाती हैं। आज चर्चा उस कुकुरमुत्ता_पार्टी की जिसे हमारे यहां के गिद्ध टाइप बुद्धिभोजी और लिब्रान्डू मीडिया सेक्युलर बताते नहीं थकते हैं।

हम बात कर रहे हैं भारतीय मुसलमानों के स्वयंभू_खलीफा असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की, जिसके नाम से ही जाहिर है कि यह पार्टी किनके लिये है और कितनी सेक्युलर को सकती है।

चलिये, इस सेक्युलर(?) पार्टी के बारे में कुछ तथ्य जान लेते हैं-

एआईएमआईएम की स्थापना आज से 92 साल पहले नवंबर 1927 में हुई थी। यह पार्टी हैदराबाद को एक आजाद इस्लामिक_रियासत के रूप में भारत से अलग करने की पक्षधर थी, संभवतः इसीलिये स्वतंत्र भारत में हैदराबाद रियासत का विलय होने के बाद आंध्र प्रदेश में यह पार्टी राजनीतिक दृष्टि से मृतप्राय हो गयी और इसे एक भी सीट नहीं मिली।

यह स्थापित सत्य है कि स्वतंत्रता के बाद लम्बे अरसे तक लगभग सम्पूर्ण भारत में कांग्रेस की ही राजनीति सत्ता रही, आंध्रप्रदेश में भी कांग्रेसी सरकारें ही बनती रहीं। फिर अकस्मात आंध्रप्रदेश की राजनीति में तेलगु फिल्मों के भगवान एनटीआर का उदय हुआ। उन्होंने 1982 में अपनी पार्टी तेलगुदेशम बनायी और कांग्रेस की जड़ें हिला दीं।

तब केंद्र में कांग्रेस सरकार थी और इंदिरा_गांधी प्रधानमंत्री थीं। दिसंबर 1982 के विधानसभा चुनावों में तेलगुदेशम ने कांग्रेस को पराजित कर दिया और 9 जनवरी 1983 को एनटी रामाराव आंध्रप्रदेश के पहले गैरकांग्रेसी मुख्यमंत्री बने। इंदिरा ने अपनी चालें चलीं और अगस्त 1984 में एनटी रामाराव की सरकार गिरा दी गयी, आंध्रप्रदेश में फिर से चुनाव घोषित हो गये।

एनटी रामाराव लोकप्रियता के शिखर पर थे, जनता की सहानुभूति भी उनके साथ थी और चुनावों में कांग्रेस की हार तय थी। ऐसे में एक दिन अचानक इंदिरा गांधी हैदराबाद में एआईएमआईएम के दफ्तर पहुंच गयीं। असदुद्दीन ओवैसी के मरहूम अब्बाजान सलाहुद्दीन ओवैसी तब की मुर्दा एआईएमआईएम के अध्यक्ष थे। इंदिरा ने सलाहुद्दीन ओवैसी के साथ खाना खाया और एनटी रामाराव के विजय रथ को रोकने के लिये आंध्र प्रदेश के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में एआईएमआईएम के साथ गठबंधन किया।

इस गठबंधन से कांग्रेस को तो कोई फायदा नहीं हुआ, लेकिन एआईएमआईएम को पहली बार आंध्रप्रदेश में विधानसभा की 4 और लोकसभा की एक सीट पर जीत मिली। एनटी रामाराव भारी बहुमत से फिर आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री बने और अपना कार्यकाल पूरा किया।

एक मरी हुई देशविरोधी_पार्टी को कांग्रेस ने अपने कुकर्मों और निजी स्वार्थ की वजह से जिंदा कर दिया। जिस मरे_सांप को कांग्रेस ने जिंदा किया था, वही सांप अब कांग्रेस को डसने लगा है, तो कांग्रेसी बार-बार बिलबिला कर ओवैसी को बीजेपी का एजेंट बताने लगते हैं। उनके पिछवाड़े मारकर इंदिरा गांधी का कुकर्म याद जरूर दिलाइयेगा।

जय_हिन्द 🙏

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