किसान_आंदोलन..😢
सर्वप्रथम यह स्पष्ट कर दूं कि मैं किसान परिवार से ही हूं और खेती_किसानी के बारे में एक आम किसान से कहीं ज्यादा जानता हूं..और इसीलिये सीना ठोंक कर लिख रहा हूं..
पहले तो किसानों को मिलने वाली सरकारी मदद (सब्सिडी) के बारे में-
● बीज_खरीद पर सब्सिडी
● कृषि_उपकरण खरीद पर सब्सिडी
● खाद के लिये सब्सिडी
● ट्रेक्टर और ट्राली खरीद पर सब्सिडी
● पशुधन खरीद पर सब्सिडी
● खेती में अन्य खर्च के #कर्ज पर सब्सिडी
● जैविक_खेती पर सब्सिडी
● सोलर एनर्जी पर सब्सिडी
● सिंचाई के लिये बिजली/डीजल पर सब्सिडी
● बागवानी पर सब्सिडी
● सिंचाई पाईप लाईन पर सब्सिडी
● स्वचालित कृषि पद्धति अपनाने पर सब्सिडी
● जैव उर्वरक खरीद पर सब्सिडी
इसके बाद-
● फसल बीमा
● किसान क्रेडिट कार्ड
● नई तरह की खेती करने वालो को फ्री प्रशिक्षण
● कृषि विषय पर पढ़ने वाले बच्चों को अनुदान
फिर..
★ सूखे पर मुआवजा।
★ बाढ़ पर मुआवजा।
★ टिड्डी-कीट जैसी आपदा पर मुआवजा।
★ शौचालय निर्माण फ्री
★ पीने का साफ पानी फ्री
★ घर से गन्दे पानी की निकासी फ्री
★ बच्चों को पढ़ने खेलने की ट्रेनिंग फ्री
■ साल में 6000 रुपये खाते में
और
■ और..सरकार बदलते ही सारे कर्ज माफ 👍
अगर इतने के बाद भी इस देश के किसानों को सरकार से अपना हक नहीं मिल रहा, तो कब और कैसे मिलेगा ये परमात्मा भी नहीं बता सकेंगे।
कितनों को पता है कि जिस MSP के खत्म हो जाने का हौवा खड़ा कर के पंजाब और हरियाणा के तथाकथित किसान आज आंदोलन कर रहे हैं, वह MSP कभी भी देश के सभी किसानों के लिये एक समान नहीं रही है.?
इस साल भी यूपी बिहार के किसानों को अपना धान 1100 से 1300 रू. प्रति क्विंटल में बेचना पड़ा है जबकि पंजाब और हरियाणा के किसानों को प्रति क्विंटल धान के 1888 रू. मिले हैं, मतलब इस पर भी सब्सिडी.?!
👉 यह सत्य है कि पंजाब हरियाणा के किसान गेहूं और धान की पैदावार देश के अन्य किसानों से अधिक करते हैं, लेकिन कटु सत्य यह भी है कि इस गेहूं और धान की गुणवत्ता निम्न कोटि की होती है। यह अपना गेंहू 1800 में सरकार को बेंचकर खुद 2400 में मध्यप्रदेश का गेहूं खरीदकर खाते हैं, खुली प्रतिस्पर्धा में इनकी उपज कोई नहीं खरीदेगा।
यही भय इनको नये कृषि कानूनों का विरोध करने पर मजबूर कर रहा है क्योंकि नये कृषि कानून किसान को अपनी उपज कहीं भी खुले_बाजार में बेंचने की सुविधा देते हैं और बाजार में तो घटिया माल नहीं बल्कि क्वालिटी ही टिकती और बिकती है..
इन सब्सिडी वाले करोड़पति_किसानों से कहीं बेहतर तो देश के तमाम दिहाड़ी मजदूर, रेहड़ी वाले, छोटे वकील, पटरी दुकानदार, पढ़े-लिखे बेरोजगार, ड्राइवर और कचरा बीनकर पेट पालने वाले हैं जो रोज मेहनत करते हैं, लेकिन न रोते हैं न सरकार से सब्सिडी मांगते हैं न ही ब्लैकमेलिंग करने के लिये धरना और आंदोलन करते हैं..😢
जो सच है, वही लिखा है..किसी को बुरा लगे तो #SORRY..😢
No comments:
Post a Comment