Wednesday, November 11, 2020

कांग्रेस और न्यायपालिका का दुर्योग

नरेन्द्र_मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब केंद्र की कांग्रेस सरकार ने उनको गुजरात में ही घेरने के लिये न्यायपालिका के साथ एक घिनौना_प्रयोग किया था।

किसी भी राज्य के हाईकोर्ट में जज बनने के लिए दो योग्यताएं होनी जरूरी होती हैं- 1. किसी हाईकोर्ट में 10 साल तक वकालत की प्रैक्टिस किया हो और 2.  किसी राज्य का महाधिवक्ता या सहायक महाधिवक्ता हो।

कांग्रेस सरकार ने हाईकोर्ट जज के लिये निर्धारित दूसरी_योग्यता को सीढ़ी बनाया। बिहार में लालू यादव की पार्टी राजद के एक नेता आफताब_आलम को बिहार सरकार का महाधिवक्ता और हिमांचल प्रदेश में कांग्रेसी मुख्यमंत्री वीरभद्र_सिंह की बेटी अभिलाषा_कुमारी को हिमांचल सरकार का महाधिवक्ता बना दिया गया फिर कुछ समय बाद ये आफताब आलम साहब और अभिलाषा कुमारी जी अद्भुत_कोलोजियम_सिस्टम से गुजरात हाईकोर्ट में जज बना दिये गये। इनके अतिरिक्त इलाहाबाद हाईकोर्ट के कुख्यात जस्टिस_माथुर को भी गुजरात हाईकोर्ट का जज बना कर भेज दिया गया।

अब कांग्रेस के असली खिलाड़ी तीस्ता_जावेद_सीतलवाड़ और शबनम_हाशमी जैसे लोग मैदान में आ गये। केंद्र की मनमोहन सरकार द्वारा तीस्ता जावेद सीतलवाड़ के एनजीओ सबरंग को 80 करोड़ और शबनम हाशमी के एनजीओ को भी 60 करोड़ से ज्यादा अनुदान मोदी के विरुद्ध माहौल बनाने और कानूनी पचड़े में फंसाने के लिये दिया गया।

अब खेल देखिये- तीस्ता जावेद सीतलवाड़ और शबनम हाशमी मोदी के खिलाफ जो भी याचिका करते, वह या तो जस्टिस आफताब आलम की बेंच में जाती थी या जस्टिस अभिलाषा कुमारी या फिर जस्टिस माथुर की बेंच में जाती थी जिसपर यह लोग इनके मनमाफिक फैसले सुना देते थे। मोदी के विरुद्ध इनके द्वारा दायर एक भी याचिका गुजरात हाईकोर्ट के किसी दूसरे जस्टिस की बेंच में नहीं जाती थी।

फिर गुजरात हाईकोर्ट के फैसलों के खिलाफ गुजरात सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करने लगी, तब कांग्रेस सरकार ने एक कमाल और किया- जस्टिस आफताब आलम को गुजरात हाईकोर्ट से प्रमोट करके सुप्रीम_कोर्ट का जज बना दिया गया। फिर वहां भी यही खेल शुरू हो गया कि शबनम हाशमी और तीस्ता जावेद की याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट के फैसलों पर दायर की गयी गुजरात सरकार की हर याचिका सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ जस्टिस आफताब आलम की ही बेंच में जाती थी।

वो तो भला हो गुजरात हाईकोर्ट के जज रहे जस्टिस_एमबी_सोनी का जिन्होंने गुजरात से दिल्ली तक बैठे इन कांग्रेसी जजों के तमाम फैसलों का विश्लेषण किया और सुस्पष्ट तथ्यों के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और राष्ट्रपति को भेजकर इन फैसलों की समीक्षा और इसकी जांच कराने का आग्रह किया कि जब सिस्टम के अनुसार कोई याचिका पहले सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जाती है फिर कंप्यूटराइज्ड तरीके से किसी भी जज की बेंच को रिफर हो जाती है, तब यह कैसे संभव हो रहा है कि गुजरात सरकार और मोदी के खिलाफ जितनी भी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में की जा रही है वह सारी की सारी जस्टिस आफताब आलम की बेंच में ही जा रही हैं.?

मामला खुल जाने पर थुक्का_फजीहत और राष्ट्रपति व सीजेआई के हस्तक्षेप के बाद अंततः न्यायपालिका में बैठे कांग्रेसी चमचों ने सेरेंडर किया और महाकाल की कृपा से मोदी बेदाग बचे।

आज कांग्रेस_कृपा से बनी महाराष्ट्र सरकार वही चाल-चरित्र अपना चुकी है और अर्णव गोस्वामी के साथ वही पुराना खेल खेल रही है। सेशन से हाईकोर्ट तक ये छद्म_कांग्रेसी सफल भी रहे हैं, लेकिन शायद अब सुप्रीम कोर्ट में कोई जस्टिस आफताब आलम नहीं है, तो..आशा है वहां वही होगा जिसे सही मायने में न्याय कहा जायेगा।

जय_हिन्द

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