Sunday, February 27, 2022

साबरमती कोच S-6 और गोधरा के शांतिदूत..

आज 27 फरवरी है..

आज से ठीक 20 साल पहले 27 फरवरी 2002 को सुबह-सुबह 7:43 बजे गुजरात के गोधरा स्टेशन से साबरमती_एक्सप्रेस नाम की एक ट्रेन रोज की तरह गुजरी थी,भारतीय रेल की परंपरानुसार चार घंटे लेट। लेकिन वह सुबह रोज की तरह नहीं थी.. गोधरा स्टेशन से निकलते ही ट्रेन पर पथराव किया गया, ट्रेन धीमी हुई और अगले सिग्नल पर पंहुचते ही करीब दो हजार शांतिदूतों लोगों ने इसे घेर लिया।

साबरमती रुक गई। पहले से तैयार तेल में डुबोये बोरे उसके S-6 कोच में दरवाजों से अन्दर डाल दिए गए। दरवाजों को तार से बांधकर बंद कर दिया गया, फिर आग लगा दी गई। सरकारी रिपोर्ट्स के अनुसार कोच में 27 महिलाओं और 10 बच्चों सहित कुल 59 लोग जल कर मरे थे, इनके अतिरिक्त 48 लोग घायल हुए थे।

सरकार ने इस नृशंस कांड की जांच के लिए नानावटी_शाह_कमीशन का गठन किया था, जिसका कार्यकाल 22 बार बढ़ाया गया-2002 से 2014 तक.. इसके बाद भी 2014 में इस कमीशन की रिपोर्ट आधी-अधूरी ही आई थी, क्योंकि कमीशन ने खुद अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि "बार-बार बुलाने के बावजूद मामले से सम्बन्धित बहुत सारे लोग कमीशन के सामने आए ही नहीं..!"

लंबी सुनवाई के बाद एसआईटी कोर्ट ने 2011 में 63 आरोपियों को बरी करते हुए 20 दोषियों को उम्रकैद और 11 शांतिदूत हत्यारों- 
1. हाजी बिलाल इस्माइल, 
2. अब्दुल मजीद रमजानी, 
3. रज्जाक कुरकुर, 
4. सलीम उर्फ सलमान जर्दा, 
5. जबीर बेहरा, 
6. महबूब लतिका, 
7. इरफान पापिल्या, 
8. सोकुट लालू, 
9. इरफान भोपा, 
10. इस्माइल सुजेला और 
11. जुबीर बिमयानी 
को मृत्युदंड की सजा सुनाई, लेकिन 9 अक्टूबर 2017 को गुजरात हाईकोर्ट ने इन 11 के मृत्युदंड को भी उम्रकैद में बदल दिया। 27 महिलाओं और 10 बच्चों सहित 37 मासूमों की नृशंस हत्या के इस मामले में किसी भी दोषी को फांसी की सजा नहीं हुई। 

यहां स्वाभाविक सवाल बनता है, कि पूरी ट्रेन के सिर्फ एक कोच S_6 को ही आग क्यूं लगाई गई.? जवाब है- क्योंकि इस कोच में अयोध्या से कारसेवा कर वापस लौट रहे हिंदू सवार थे।

सोचिएगा और हो सके तो एक बार महसूस करके देखिएगा भी, कि जरा सी रोटी की भाप से अपनी एक उंगली जल जाए तो कितना दर्द होता है.? फिर जो उस बंद कोच में भयानक आग और धुएं से मरे होंगे, वो कितना तड़पे होंगे.?

अगर आपने वह भयावह दृश्य देखा होता, तो क्या प्रतिक्रिया होती आपकी.? किस सोच के साथ, क्या निश्चय, क्या प्रतिज्ञा करके उस कोच से उतरते आप.? पर आप तो वहां थे ही नहीं, न ही आपने उस कोच का नारकीय दृश्य देखा ही था.. लेकिन, नरेंद्र मोदी उस कोच में गए भी थे और वापस आते समय उन्होंने कुछ प्रतिज्ञाएं भी की थीं। 

तो.. सरकारों की खूंटी पर अपने तंग कपड़े टांग कर बिस्तरों पर फैलना बंद करिए और देशहित के लिए प्रतिज्ञाबद्ध प्रथम राष्ट्रवादी सरकार का सहयोग करिए। क्योंकि कोई भी सरकार या कानून अपना काम तभी बेहतर करता है, जब समाज और समाज का हर व्यक्ति अपना काम बेहतर करे। उस समय न सही अब प्रतिज्ञा करिए कि तन-मन-धन से अपनी सरकार का साथ देंगे.. ऐसा भारत बनाने में, जिसमें कोई शांतिदूत फिर ऐसा करने क्या सोचने की भी हिमाकत न कर सके..

गोधरा कांड में मृत सभी सनातन हुतात्माओं को अश्रुपूर्ण_श्रद्धांजलि 😭🌺

जयहिंद, जय_श्रीराम 🙏

Saturday, February 19, 2022

मोहल्ले का सैलून और मोदी..

आज संडे था, तो हम हुलिया सुधरवाने मोहल्ले के सैलून जा पहुंचे..

नाई ने पहले मुंह पर पानी का फुहारा मारा, फिर क्रीम लगाकर मालिश की.. उसके बाद तौलिये से रगड़ कर मुंह साफ किया, फोम लगाया, रेजर में नया ब्लेड लगाया, शेव की, मूंछें और भवें सेट कीं, बढ़िया आफ्टर शेव लोशन लगाया, बोरोलीन पोता, फिर आखिर में हल्का सा पाउडर  फाइनल टच दिया..

हमने कहा "जरा नाक के बाल निकाल दे.." उसने साथ में कान पर खड़े दो चार बालों पर भी कैंची फिरा दी। फिर हम बेशर्मी से बनियान उतार कर खड़े हो गये.. हाथ ऊपर उठाया, उसने बगल के भी बाल साफ कर दिये। उसके बाद उसने कंधे-पीठ पर हाथ मारा और थोड़ी देर मालिश भी कर दी.. 

हम अनमने से उठे, शीशे में आगे-पीछे कई एंगल से खुद को निहारा.. रितिक रोशन बनने में कुछ कमी सी लग रही थी, वो संशकित हमें घूर रहा था। शीशे के सामने कई बार अगवाड़ा-पिछवाड़ा ऐंठने के बाद आखिरकार हमें कमी मिल ही गई- मूंछ में दो बाल सफेद दिख रहे थे.. उन्हें भी निकलवाया और फाइनली पचास रुपया उसके हवाले करके यह सोचते हुए घर की राह ली कि "साली महंगाई कितनी बढ़ गई है, जरा सी दाढ़ी के पचास रुपये.?!

सोचिये कि उसने हमारे पचास के नोट के बदले कितना कुछ किया.? जबकि बात तो सिर्फ दाढ़ी बनाने की हुई थी, नाक, कान, बगल के बाल साफ करने और मालिश की बात तो नहीं हुई थी न.? 

अब गंभीरता से सोचिये कि एक वोट के बदले आपके लिये क्या-क्या नहीं किया गया.? वादा तो सिर्फ राम मंदिर, 370 और समान नागरिक संहिता का था न.? पर उसने तो-

•ईरान का ₹ 48,000 करोड़ ऋण चुकाया,
•संयुक्त आरब अमीरात का ₹ 40,000 करोड़ ऋण चुकाया,
•भारतीय ईंधन कंपनियों का ₹ 1,33,000 करोड़ घाटा पूरा किया,
•इंडियन एयरलाइंस का ₹ 58,000 करोड़ घाटा पूरा किया,
•भारतीय रेलवे का ₹ 22,000 करोड़ घाटा पूरा किया,
•बीएसएनएल का ₹ 1,500 करोड़ घाटा पूरा किया,
•देश का ₹ 2,50,000 करोड़ का विदेशी कर्ज ब्याज के साथ चुकाया,
•सेनाओं को आधुनिक संसाधन देकर उन्हें विश्वस्तरीय बनाया,
•18,500 गांवों का विद्युतीकरण कराया,
•गरीबों को 8 करोड़ निःशुल्क गैस कनेक्शन दिया,
•हजारों किलोमीटर नई सड़कें बनाईं,
•युवाओं को ₹ 1,50,000 करोड़ के ऋण दिये,
•आयुष्मान भारत में 50 करोड़ नागरिकों के लिए ₹1,50,000 करोड़ की वैद्यकीय बीमा योजना आरंभ की,
•राम मंदिर भी बनवाया,
•370 भी हटाई,
•कश्मीर को केंद्रशासित कर दिया, •लद्दाख को अलग कर दिया,
•पाकिस्तान की हालत खजैले कुत्ते जैसी कर दी,
•CAA लागू किया,
•ढाई लाख रुपये मकान बनाने को दिया,
•घर घर शौचालय बनवाया,
•मुफ्त के सिलेंडर दिये,
•किसान कर्जमाफी कर के देश की इकोनामी को खतरे में डाला, किसी का तुष्टीकरण नहीं किया। भले लाखों कार्यकर्ता नाराज हुए, पर भाई भतीजावाद नहीं किया।
•इसके अतिरिक्त NRC और NPR समेत देश और नागरिकों के हित में अनेक कल्याणकारी योजनाओं पर काम चल रहा है..

लेकिन हमारे मन में गुस्से से बार-बार एक ही सवाल उठता है- "साला क्या जमाना आ गया है, एक वोट के बदले बस इत्ता सा ही.?! कुछ भी तो नहीं किया मोदी ने..."

कितने बेशर्म हैं हम, पता नहीं कब सुधरेंगे.?! 😡

Friday, February 18, 2022

बैशाख_नंदिनी

आप रास्ते से जा रहे हैं और अचानक सामने एक गधा खड़ा खिलखिलाता दिख जाये, तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी.? शायद आप कहें- "अरे वाह, गधा भी हंस रहा है.!" या गधे को हंसता देख आप भी खिलखिला उठें, या दुखी हो जाएं कि "देखो, हमसे अच्छा तो ये ही है, खुश तो है.!" 

लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे। हम तो मौके का फायदा उठा कर तुरंत गधे के चार दांत उखाड़ लेंगे, क्योंकि अगर गधे के दांत का चूरन बना उसका ताबीज बांधा जाये, तो पौरुष शक्ति में चमत्कारी वृद्धि होती है। अब आप कहोगे कि ऐसा चमत्कार कभी सुने नहीं हैं.. तो भाई, बंगाली बाबाओं की फलती फूलती दुकानदारी और निर्मल बाबा के भक्तों की संख्या देखकर भी आपको क्यों नहीं लगता कि हमारा फार्मूला भी चल सकता है.?

खैर.. यह तो शरद जोशी जी से प्रेरित मेरी कल्पनाशक्ति की आकस्मिक उड़ान थी आपके मुखड़े पर मुस्कान (कर्नाटक वाली नहीं) लाने के लिये, अब गधे पर गंभीर चर्चा..

दुनिया में गधों की दूसरी सबसे ज्यादा आबादी पाकिस्तान में है। आप फिर कहोगे कि इसमें तो पाकिस्तान पहले नंबर पर है.. लेकिन आप गलत हैं, क्योंकि दुगोड़ू_गधों को मिलाकर अब हम पाकिस्तान को कहीं पीछे छोड़ चुके हैं.. 

अंग्रेजी में जवान गधे को Jack और जवान खूबसूरत गधी को Jenny या Jennet कहते हैं। जिनको गधी के Jenny या Jennet नाम अजीब लगें, उनको गधी को शांतिदूतों की नजर से देखना चाहिये.. लिल्लाह, गधी हूर नजर आयेगी और आसमानी किताब के सदके गधी से इश्क हलाल भी होगा।

हां, तो गधा समाज की चर्चा आगे बढ़ाते हैं.. गधे और घोड़ी के समागम से एक नई नस्ल जन्मती है, जिसे खच्चर कहते हैं। खच्चर देखने में थोड़ा घोड़ा भले लगे, पर होता ये नल्ला टाइप गधा ही है। अक्सर इसे गधों के दल की सरदारी मिल जाती है और यह अपने गधे साथियों के साथ बेवजह ढिंचुआ कर आसपास के लोगों की नींद हराम करने में भी माहिर होता है।

इस खच्चर की एक बहिन भी होती है और असल में यह पूरी पोस्ट उस खच्चर_भगिनी का परिचय करवाने के उद्देश्य से ही लिखी गई है। अंग्रेजी में उसे Hinny और देशी ठर्रा भाषा में खच्चरिया कहते हैं। अब इस Hinny के नाक_होंठ भले ही घोड़ी जैसे दिखें, पर होती ये गधी ही है। चूंकि हम भारतीय पत्नीभय से चुपचाप डिस्कवरी चैनल की जगह एकता कपूर के 'कैसी दुल्हन जो पति को डराये..' टाइप के टीवी सीरियल देखते रहते हैं तो गधी, घोड़ी, घुड़खर और खच्चर वगैरह में आसानी से फर्क नहीं कर पाते हैं। ठीक है, गृहशांति का ध्यान रखिये और चैनल मत बदलिये। लेकिन फर्क करना जरूर सीखिये, कि कल जीवन या देश की महत्वपूर्ण घुड़दौड़ में आप घोड़े के धोखे में खच्चर या खच्चरिया पर दांव न खेल जाएं..

उद्देश्य सिर्फ आपको वाइल्ड_लाइफ पर थोड़ा जागरूक करना था। इस पोस्ट को पप्पू और उसकी बहिनजी से मत जोड़ियेगा, प्लीज.. 🙏

वैसे जोड़ भी लेंगे, तो मुझे क्या.?! 😜