कीड़ा_काट रहा है क्या पिछवाड़े.?
ये डायलॉग सबने ही कभी न कभी जरूर सुना होगा, मैंने भी सुना है.. लेकिन इस कीड़े के काटने से परिणाम क्या हो सकते हैं, इसके कुछ दिव्य उदाहरणों का मजा लीजिये-
1. अच्छा-भला राफेल_सौदा हो गया था। कांग्रेस कीड़ा काटा और बहस की मांग कर दी..
परिणाम- राजीव_गांधी के तमाम भ्रष्टाचारों की किताबें खुल गयीं और 30 सालों में बड़ी मेहनत से बनायी गयी मिस्टर_क्लीन की छवि गंध मारने लगी।
2. अच्छी-भली 370 हट गयी थी। कांग्रेस को फिर कीड़ा काटा और 370 पर बहस की मांग कर दी..
परिणाम- पीओके से लेकर चीन तक नहरू के कच्चे चिट्ठे खुल गये और 70 सालों में बना नहरू का फर्जी आभामंडल फुस्स हो गया।
3. कोरोना असफलता, पालघर लिंचिंग और सुशांत मामले के बाद भी शिवसेना और उद्धव ठाकरे की छवि जैसे-तैसे बची हुई थी। संजय_राउत को कीड़ा काटा और कंगना को गाली दे दी..
परिणाम- उद्धव_ठाकरे सहित शिवसेना के भी कच्चे चिट्ठे खुल गये। सालों से बनी हिंदुत्व की छवि सड़कछाप_गुंडागर्दी में बदल गयी और शिवसेना शवसेना बन गयी।
4. पालघर, रामजन्मभूमि, सुशांत, कंगना और तमाम मामलों में चुप्पी के बावजूद बच्चन_परिवार की लंगोट जैसे-तैसे बची हुई थी। जया को कीड़ा काटा और थाली_में_छेद वाला बयान दे दिया..
परिणाम- जिस अमिताभ पर कभी उंगली भी नहीं उठी थी, उनका हर पाखण्ड उजागर हो गया और 50 सालों में बनी महानायक की छवि महा_नालायक में बदल गयी।
5. अच्छी-भली सेकेंड_वेब कंट्रोल हो रही थी और तमाम लापरवाहियों, साइड इफेक्ट्स और दवाइयों में लूट के बाबजूद देश डॉक्टरों को वैरियर्स कह कर सम्मान दे रहा था। IMA को कीड़ा काटा और उसने आयुर्वेद के खिलाफ बयान जारी कर दिया..
परिणाम- जिस IMA पर कोई सवाल उठाने की सोच भी नहीं सकता था, उसके कच्चे चिट्ठे खुल रहे हैं। उसकी मिशनरी_उत्पत्ति और धर्मांतरण में मिलीभगत से लेकर फार्मालाबी से सांठगांठ तक के काले कारनामे कब्र से निकल रहे हैं और देश को पहली_बार पता चला कि IMA कोई सरकारी संस्था नहीं, बल्कि एक NGO है।
70 सालों तक जनता को भेड़ समझने वाले अगर नहीं समझ पा रहे हैं कि नये_भारत में इस कीड़े ने भी काटने का प्यार भरा नया_अंदाज ढूंढ लिया है, तो हम क्या कर सकते हैं.?
यही नियति_का_लोकतंत्र है..
✍️❤️🤷♂️
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