Monday, May 31, 2021

पिछवाड़े का कीड़ा

कीड़ा_काट रहा है क्या पिछवाड़े.? 

ये डायलॉग सबने ही कभी न कभी जरूर सुना होगा, मैंने भी सुना है.. लेकिन इस कीड़े के काटने से परिणाम क्या हो सकते हैं, इसके कुछ दिव्य उदाहरणों का मजा लीजिये-

1. अच्छा-भला राफेल_सौदा हो गया था। कांग्रेस कीड़ा काटा और बहस की मांग कर दी..

परिणाम- राजीव_गांधी के तमाम भ्रष्टाचारों की किताबें खुल गयीं और 30 सालों में बड़ी मेहनत से बनायी गयी मिस्टर_क्लीन की छवि गंध मारने लगी।

2. अच्छी-भली 370 हट गयी थी। कांग्रेस को फिर कीड़ा काटा और 370 पर बहस की मांग कर दी..

परिणाम- पीओके से लेकर चीन तक नहरू के कच्चे चिट्ठे खुल गये और 70 सालों में बना नहरू का फर्जी आभामंडल फुस्स हो गया।

3. कोरोना असफलता, पालघर लिंचिंग और सुशांत मामले के बाद भी शिवसेना और उद्धव ठाकरे की छवि जैसे-तैसे बची हुई थी। संजय_राउत को कीड़ा काटा और कंगना को गाली दे दी..

परिणाम- उद्धव_ठाकरे सहित शिवसेना के भी कच्चे चिट्ठे खुल गये। सालों से बनी हिंदुत्व की छवि सड़कछाप_गुंडागर्दी में बदल गयी और शिवसेना शवसेना बन गयी।

4. पालघर, रामजन्मभूमि, सुशांत, कंगना और तमाम मामलों में चुप्पी के बावजूद बच्चन_परिवार की लंगोट जैसे-तैसे बची हुई थी। जया को कीड़ा काटा और थाली_में_छेद वाला बयान दे दिया..

परिणाम- जिस अमिताभ पर कभी उंगली भी नहीं उठी थी, उनका हर पाखण्ड उजागर हो गया और 50 सालों में बनी महानायक की छवि महा_नालायक में बदल गयी।

5. अच्छी-भली सेकेंड_वेब कंट्रोल हो रही थी और तमाम लापरवाहियों, साइड इफेक्ट्स और दवाइयों में लूट के बाबजूद देश डॉक्टरों को वैरियर्स कह कर सम्मान दे रहा था। IMA को कीड़ा काटा और उसने आयुर्वेद के खिलाफ बयान जारी कर दिया..

परिणाम- जिस IMA पर कोई सवाल उठाने की सोच भी नहीं सकता था, उसके कच्चे चिट्ठे खुल रहे हैं। उसकी मिशनरी_उत्पत्ति और धर्मांतरण में मिलीभगत से लेकर फार्मालाबी से सांठगांठ तक के काले कारनामे कब्र से निकल रहे हैं और देश को पहली_बार पता चला कि IMA कोई सरकारी संस्था नहीं, बल्कि एक NGO है।

70 सालों तक जनता को भेड़ समझने वाले अगर नहीं समझ पा रहे हैं कि नये_भारत में इस कीड़े ने भी काटने का प्यार भरा नया_अंदाज ढूंढ लिया है, तो हम क्या कर सकते हैं.?

यही नियति_का_लोकतंत्र है..  

✍️❤️🤷‍♂️

Saturday, May 15, 2021

येरुशलम में इस्लाम खतरे में..

इस समय इजरायल और फिलिस्तीन के बीच (संभवतः इस बार निर्णायक) युद्ध चल रहा है। इजरायल या फिलिस्तीन हमारे पड़ोसी नहीं हैं.. लेकिन चाहे-अनचाहे हम इस युद्ध से प्रभावित जरूर होंगे, हो भी रहे हैं..

कितने लोग जानते हैं कि इजरायल और फिलिस्तीन के बीच विवाद का कारण क्या है.? वस्तुतः यह विवाद बिलकुल उसी तरह का है, जैसा हमारे यहां अयोध्या में शताब्दियों बाद निबटा है और काशी_मथुरा में चल ही रहा है।

यहूदियों का सबसे पवित्र धार्मिक स्थान टेंपल_माउंट येरुशलम के पुराने शहर में है। 70 ईस्वी में यहां स्थित यहूदियों के सेकेंड_टेंपल को ध्वस्त कर दिया गया और अब वहां पर अल_अक्सा मस्जिद बनी है जो इस्लाम की तीसरी सबसे पाक_मस्जिद कही जाती है। जले_पर_नमक की तर्ज पर इसी के पास बाद में इस्लामी श्राइन डोम_आफ_रॉक बनाकर उसके गुम्बद को सोने से मढ़वाया गया। 

बहुत जद्दोजहद के बाद आखिरकार यहूदियों को इसके पास स्थित वेस्टर्न_वाल के पास पूजा करने की अनुमति मिली.. लेकिन शायद यहूदी हम हिन्दुओं की तरह सहिष्णु या सेकुलर नहीं हैं। अब वह अपना अधिकार वापस लेने में सक्षम हैं और सौभाग्य से इजराइल में विपक्ष भी भारत की तरह दोगला नहीं है..

जो भी हो, फिलहाल तो येरुशलम में इजरायल ने इस्लाम_खतरे_में डाल दिया है.. देखने वाली बात ये होगी कि इस बार जेहादी कम पड़ते हैं, या फिर हूरें ही कम पड़ जायेंगी... 👍

Sunday, May 2, 2021

बंगाल चुनाव और भाजपा

★"एक बार फिर लोकतंत्र में लोगों की आस्था बनी रह गई है.."
★"ईवीएम की खराबी अब बीते दिनों की बात है.."
★"मोदी-शाह के चुनावी अश्वमेध के बगटुट घोड़े को बंगाल की दीदी ने थाम लिया है..

ऐसी कुछ हेडलाइंस, ऐसे कुछ स्लग्स, ऐसे कुछ विश्लेषण अगले 2-3 दिनों तक आपको टीवी/पेपर्स में देखने को मिलने वाले हैं।

यह चुनाव पांच राज्यों में हुए हैं, जिनमें से दो -असम और पुडुचेरी- में भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है, बंगाल में उसने 3 की तुलना में 75 से अधिक सीटें लेकर गजब का प्रदर्शन किया है, तमिलनाडु में दमदार शुरुआत की है और केरल में मेट्रोमैन श्रीधरन की हार के बाद भी भाजपा की धमक स्पष्ट दिखने लगी है.. लेकिन चर्चा ऐसी हो रही है, जैसे बंगाल में भाजपा की सरकार थी और ममता ने उसे छीन लिया है। वस्तुतः यह मीडिया के छद्म बुद्धिजीवियों की बनाई दुनिया थी जो भाजपा का सब कुछ बंगाल में दांव पर लगा हुआ बता रही थी। भाजपा के पास बंगाल में खोने को था ही क्या.? उसकी 3 से 75-80 सीटों की जीत प्रमाण है कि भाजपा ने बंगाल में राजनीतिक दल के रूप में गजब का प्रदर्शन किया है। रही बात प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के चुनाव प्रचार करने की ( जो कहा जा रहा है), तो क्या वह अपनी पार्टी के नेता नहीं हैं, और क्या मंत्रिपद उनको अपने दल के लिये प्रचार करने से वंचित कर देता है.?

कांग्रेस और लेफ्ट के अभूतपूर्व सफाये की कोई चर्चा नहीं कर रहा है। बंगाल में दोनों का ही खाता तक नहीं खुला और असम में तमाम दम झोंकने और मुस्लिम जेहादियों के साथ गठबंधन करने के बावजूद कांग्रेस की दाल नहीं गली है।

यह सच है कि बंगाल में दीदी एक पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही हैं, लेकिन यह भी सच है कि नंदीग्राम के नतीजे की छाया पूरे 5 साल उनकी सरकार पर ग्रहण की तरह छायी रहेगी।

बंगाल चुनाव नतीजों के विश्लेषण से स्पष्ट है कि जिन-जिन सीटों पर मुस्लिम जनसंख्या प्रभावी थी, वहां-वहां टीएमसी की जोरदार जीत हुई है। वोटों का यह बटखरा सीधे तौर पर तृणमूल के पक्ष में गया और उसने पलड़े को झुका दिया। हिंदू_वोटर हमेशा की तरह असमंजस में रहा, जबकि मुसलमानों ने हमेशा की तरह भाजपा को हराने के लिये एकजुट होकर वोट किया जिसका आह्वान भी ममता ने खुले मंच से किया था.. सोचना तो अब वहां के हिंदुओं को होगा।

चुनाव लोकतंत्र की असल कसौटी होते हैं और इसमें किसी की जीत तो किसी की हार होती ही रहती है। लेकिन बंगाल की असल चुनौती अभी आगे आनी बाकी है जिसका संकेत टीएमसी के गुंडों ने नतीजे आते ही आरामबाग में भाजपा #कार्यालय को जलाकर दे दिया है। कमीशनखोरी, तोलेबाजी और हर केंद्रीय योजना में अड़ंगा अब बंगाल का नसीब होने वाला है। 

कई चुनावों के बाद बंगाल में भाजपा के रूप में एक मजबूत विपक्ष आया है, वह हिंदुओं को कितना बचा पायेगी यह तो समय ही बता पायेगा.. लेकिन उम्मीद तो कर ही सकते हैं कि भाजपा के रहते रोहिंग्या और अवैध बांग्लादेशी वहां अब एक नया_कश्मीर नहीं बना पायेंगे।

#जय_हिंद 💐