"मानिषादप्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वती समा।
यत्क्रौंमेकमिथुनादवधी: काममोहितं।।"
यह आदिकवि_वाल्मीकि की प्रथम काव्य_पंक्तियां हैं, जो एक काममोहित क्रौंच पक्षी की निषाद द्वारा हत्या के पश्चात उनके मुख से स्वतः स्फुटित हुई थीं।
युग, काल और मानव मूल्य भी परिवर्तित हो चुके हैं और संभवतः मानव भी दानव में परिवर्तित होता जा रहा है जिसका नवीनतम उदाहरण केरल में विनायकी की हत्या है।
अब यह तो गहन अन्वेषण का विषय है कि उस हथिनी की ऐसी नृशंस_हत्या किन कारणों से हुई। सगर्भा_विनायकी किन लोगों की शांति_भंग कर रही थी.? या उसके सगर्भा हो जाने पर किन लोगों को इतनी अधिक आपत्ति थी.?
विनायकी की इस हत्या से किसी नये वाल्मीकि का उद्भव भले न हो किन्तु अनेक #विनायक अवश्य उत्पन्न होंगे जिनका चरम उद्देश्य उन #दानवों की शांति को #पूर्णतः_भंग करना ही होगा..
#जय_हिन्द
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