Friday, January 31, 2020

भटका हुआ गोपाल

कोई #भटका_हुआ_लड़का है, गोपाल! कहीं भीड़ की ओर नली कर के कट्टा दाग दिया है। यूपी का हूं, तो कट्टे की औकात भी बचपन से जानता हूं कि बीस फीट दूर से इससे आदमी क्या चिड़िया भी नहीं मरेगी।

लेकिन देख रहा हूं कि कुछ लोग बहुत भड़के हुए हैं। ये वही लोग हैं जिन्होंने दो सौ लोगों के हत्यारे के लिए आधी रात को कोर्ट खुलवाया था। जिस देश में रोज ही सैकड़ों हत्याएं होती हों, वहां के लिये यह घटना बहुत बड़ी नहीं है, फिर भी इसबार मैं अंदर से कांप गया हूं।

यह किसी एक गोपाल की बात नहीं है, असल में अब #इधर_के_लड़के भी भटकने लगे हैं, यह सोचने वाली बात है। क्योंकि हम कभी भटकने के लिये नहीं जाने गये। हम जाने गये राष्ट्र पर बलि चढ़ने के लिये, हम जाने गये सेवा के लिये, सद्भाव के लिये, स्नेह के लिये, बसुधैव कुटुम्बकम की भावना के लिये..हम जाने गए माता पद्मावती के लिये, बाबा प्रताप के लिये, गौतम के लिये, महाबीर के लिये..हमें गढ़ा था शबरी के राम ने, हमें रचा है सुदामा के कृष्ण ने..फिर हम कैसे भटक सकते हैं?

पर रुकिये, तनिक खोजिये कि यह भटकने का सिलसिला आखिर हमतक पहुंच कैसे गया.? वो कौन हैं वे जिन्होंने भटकने को फैशन बना दिया.? वे कौन लोग हैं जो कल तक हर आतंकवादी को #भटका_हुआ_नौजवान कहकर उसके साथ खड़े हो जाते थे.?

चार दिन नहीं हुए, जब उसी भीड़ को सम्बोधित करते हुए किसी ने देश तोड़ने की खुलेआम प्लानिंग की थी। क्या हुआ.? दो दिन बाद ही #रब्बिश जैसे लोग उसके समर्थन में खड़े हो गये और नेशनल चैनल पर खुलेआम झूठ बोलने लगे कि अरेस्ट नहीं हुआ है, सरेंडर किया है। उसे देशभक्त बताया जाने लगा..

इस देश का एक बड़ा शायर राहत इंदौरी सरेआम चुनौती देते हुए कहता है- "सच में आतंकवादी हो जायें तो क्या होगा.?" कोई उसका विरोध नहीं करता, बल्कि उसे बुद्धिजीवी कहा जाता है। कैसे न बिगड़ें लड़के.?

चालीस वर्षों से पार्टी का झोला ढ़ो रहे लोग टिकट के लिए तरसते रह जाते हैं और #कन्हैया जैसे चार दिन के लौंडे #भारत_विरोधी नारे लगा कर देश भर में चर्चित हो जाते हैं, तो नये लड़के कैसे नहीं भटकेंगे.?

ठीक से देखिये लड़के को, उसके चेहरे पर डर साफ दिख रहा है। यह वो लड़के हैं, जो यह सोच कर डरे हुए हैं कि जब कुछ #औरतें मिल कर राजधानी की एक मुख्य सड़क को महीनों तक बन्द कर सकती हैं तो #पुरुष मिल कर क्या नहीं करेंगे.? यकीन कीजिये, उस लड़के की हरकत भले नाजायज हो, उसका डर #जायज है। कौन हैं वे लोग, जो उसके मन मे डर भर रहे हैं.?

हमारा गोपाल ऐसा नहीं था, हमारे गोपाल की तो #दुनिया दीवानी है। लेकिन याद रखिये, जब आप लगातार एक हिस्से के उपद्रवियों का समर्थन करेंगे तो कभी न कभी दूसरे हिस्से में भी वैसे लोग खड़े होंगे ही होंगे, इसे कोई रोक नहीं सकेगा। उस कट्टे के #विकृत_स्वर की हम-आप चाहे जितनी निंदा कर लें लेकिन अंततः वह प्रतिरोध का ही एक स्वर है जिसके लिये सिर्फ और सिर्फ तुम लोग ही जिम्मेवार हो मेरे देश के #बुद्धिभोजियों..

इसलिये..अब मेरे देश पर दया करो और आतंक को फैशन न बनाओ। हां..हम शांति से जीने वाले लोग हैं और शांति से ही जीना चाहते हैं। हमें शांति से जीने तो दो..

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