दो दिन पहले एक मुस्लिम आतंकवादी संगठन ने एक संप्रभु देश पर अकारण हमला कर पांच हजार से ज्यादा राकेट दाग दिये, उसके सैकड़ों बेगुनाह नागरिकों को मार दिया और उसकी महिलाओं को नंगा करके जुलूस निकाला.. अब वह देश क्या करेगा.? या तो वह विश्व समुदाय के सामने अपनी रक्षा के लिये "पाहि माम-त्राहि माम" करेगा, या फिर अपनी अस्मिता के लिये प्राणप्रण से सबल प्रत्युत्तर देगा..
मैं बात कर रहा हूं इजराइल पर आतंकी संगठन हमास के ताजा हमलों और उसके जवाब में इजराइल द्वारा युद्ध घोषणा की। ताजा समाचारों के मुताबिक इजराइल की तीन लाख से अधिक सेना ने गाजा पट्टी को चारों ओर से घेर लिया है और आईडीएफ चीफ की स्पष्ट घोषणा है कि "हम गाजा का भूगोल बदल देंगे.."
इजराइल ने वही किया, जो किसी भी संप्रभु राष्ट्र को अपने नागरिकों की सुरक्षा, उनके आत्मसम्मान की रक्षा हेतु करना चाहिये। हमास सहित उसको पीठ पीछे मदद देने वालों को भी पता था, कि इजराइल ऐसा ही करेगा। यहां तारीफ इजराइल के सत्ताशीन नेताओं से कहीं ज्यादा वहां के उन विपक्षी नेताओं की करनी होगी, जो संकट की इस घड़ी में अपने राजनैतिक विरोध को भुलाकर बेंजामिन नेतन्याहू के साथ आ खड़े हुए और उनमें से कई इस समय वॉररूम की जिम्मेदारी निभा रहे हैं..
इजराइल भारत का स्वाभाविक मित्रदेश है, जो लंबे समय से सामरिक और व्यापारिक हर दृष्टि से भारत का प्रमुख सहयोगी रहा है। शायद इसलिये भी, कि दोनों ही पड़ोसी देश द्वारा प्रायोजित आतंकवाद से निरंतर पीड़ित रहे हैं और दोनों के दर्द एक समान हैं। इसीलिये भारत ने हमास के घृणित हमले के तुरंत बाद- अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन से भी पहले, इजराइल के समर्थन की घोषणा कर दी..
भारत में भी एक विपक्ष है- हालांकि जनता ने उसे आधिकारिक विपक्ष कहे जाने लायक भी नहीं छोड़ा है, फिर भी उसके नेता "सजनी हमहीं राजकुमार" की तर्ज पर विपक्षी एकता का नेता होने का दम भरते रहते हैं.. (ये अलग बात है कि कुछ साल पहले तक यही लोग खुद को सृष्टिपर्यंत भारत का राजा होने का दम भरते थे)..
भारत में विपक्षी एकता की स्वयंभू_नेता यह पार्टी आज एक मुस्लिम आतंकवादी संगठन के समर्थन में खुलकर उतर आई। कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) ने आज हमास द्वारा इजरायल पर किए गए बर्बरतापूर्ण हमले को नजरअंदाज करते हुए एक प्रस्ताव पारित कर फिलिस्तीन के "Land, self government and live with dignity and respect" के अधिकार को समर्थन दिया है।
कोई पूछे इस कांग्रेस से- वह फिलिस्तीन के अधिकारों की बात तो कर रही है, लेकिन इस्लाम के उदय से सैकड़ों साल पहले से मौजूद यहूदी अधिकारों को क्यों नहीं स्वीकार कर पा रही है.? यहां यह तथ्य ध्यान में रखना होगा कि 14 मई, 1948 को स्थापित इजराइल विश्व में यहूदियों का एकमात्र देश है.. शायद उसी तरह, जैसे अब भारत हिंदुओं का एकमात्र देश बचा है। लेकिन कांग्रेस के लिये right to existence सिर्फ विवादित इस्लामिक देश फिलिस्तीन का ही है, एक संप्रभु देश इजराइल का कोई right to existence नहीं है.. इसी तरह तो इजराइल के अस्तित्व को फिलिस्तीन, हमास, हिज्बुल्ला और इस्लामिक देश भी नकारते रहे हैं।
प्रश्न यह है कि क्या अब कांग्रेस भारत का हमास या हिजबुल्ला बन चुकी है.? इसका उत्तर हां में दिया जाना बहुत अनुचित नहीं होगा.. कांग्रेस पाकिस्तान पर भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट के सबूत मांग कर सेना का अपमान करती रही और गलवान मामले में लगातार चीन की भाषा बोलकर भारत को नीचा दिखाने की कोशिश करती रही है। कल ही AMU में कांग्रेस समर्थित छात्रों के एक समूह ने इजरायल के विरोध में हमास के साथ Solidarity दिखाने के लिए अल्लाहू अकबर के नारे लगाते हुए प्रदर्शन किए हैं। ऐसे में ये कहना कहीं से गलत नहीं होगा, कि अब भारत_का_हमास फिलिस्तीनी_हमास के समर्थन में खुलकर उतर आया है।
निश्चित रूप से फिलिस्तीन और हमास के प्रति समर्थन प्रस्ताव पारित करने के पीछे कांग्रेस की मंशा आगामी चुनावों में मुस्लिम वोट की गारंटी पक्की करना है। बेहतर होगा कि अब सोनिया मैडम सम्राट अशोक से प्रेरणा लें और जिस तरह सम्राट अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र व पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार हेतु भेजा था, उसी तरह पप्पू और पिंकी को इस्लाम के समर्थन के लिये अल-अक्सा मस्जिद में नमाज पढ़ने गाजा भेज दें। समर्थन के साथ-साथ यह उनके दादा-दादी फिरोज और मैमूना को श्रद्धांजलि भी होगी..
आमीन