Thursday, April 29, 2021

कोरोना की सेकेंड वेव और मोदी

फिर से शुरुआत वहीं से करूंगा कि कोरोना है और शायद रहेगा भी सुगर, बीपी व अन्य कई बीमारियों की तरह.. शंका इस कोरोना की तथाकथित सेकेंड_वेव को लेकर हो रही है कि क्या यह भारत और भारत के वर्तमान शासन के विरुद्ध सुनियोजित षड्यंत्र तो नहीं है.?

एक पखवाड़े पहले तक मैं भी इसे सेकेंड वेव ही मानता था, लेकिन जब पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की स्थिति का आकलन किया तो आश्चर्य हुआ। हमारे पड़ोसी पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान या पूरे एशिया के किसी भी अन्य देश में कोई दूसरी लहर नहीं आयी, वहां आज भी स्थितियां पहले जैसी ही हैं। 

फिर यह सेकेंड वेव का बम भारत में ही क्यूं और कैसे फटा.? क्या इन सभी एशियाई देशों -जो चिकित्सा, स्वास्थ्य और अन्य उच्चतर सुविधाओं में हमसे कमतर ही हैं- के नागरिक भारतीयों से अधिक अनुशासित हैं.? क्या वे महामारी से बचने के लिए चौबीस घंटे मास्क पहने रहते हैं.? क्या उनकी भौगोलिक स्थिति भारत से भिन्न है.? फिर यह दूसरी लहर इन देशों को छू भी नहीं सकी और भारत को तोड़ रही है, क्यूं.? 

आईसीएमआर ने पहली वेव के समय कहा था कि भारत में करोड़ों लोगों को यह बीमारी हो गयी और उन्हें पता भी नहीं चला.. तो जब करोड़ों लोग तब इसे झेल गये, फिर उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बन गयी, तब दूसरी लहर इतनी खतरनाक कैसे हो गयी, और भारत में ही क्यों हुई.? 

उत्तर आसान नहीं तो बहुत कठिन भी नहीं है.. थोड़ा सा ध्यान इस महामारी के बाद की वैश्विक परिस्थितियों पर ले जाइये। दवा, वैक्सीन से लेकर अर्थव्यवस्था प्रबंधन तक.. सबमें ही भारत ने पूरी दुनिया को चकित कर दिया था और UN से लेकर WHO तक हर कहीं भारत और मोदी की तारीफ के पुल बांधे जाने लगे थे। तो क्या चीन, पाकिस्तान और विश्व के स्वयम्भू मालिक देश इससे बहुत प्रसन्न हो गये होंगे.?

चीन आज भारत को मदद की बात कर रहा है, जबकि पिछली महामारी में वही घुसपैठ कर रहा था। पाकिस्तान जैसा चिरशत्रु जिसे खुद के खाने के लाले पड़े हैं, वह भी हमारी मदद की बात कर रहा है और अमेरिका व जर्मनी जैसे देश हमें वैक्सीन बनाने का कच्चा माल देने से मना कर रहे हैं।

असल कारण दूसरे ही हैं..

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में दुनिया की ताकतवर फार्मा लाॅबी, ऑयल लाॅबी और आर्म्स लॉबी ने इस महामारी, BlackLivesMatter तथा जॉर्ज फ्लाॅयड जैसे मुद्दों का मीडिया में भयानक उफान मचाकर ट्रंप को हरवा दिया, क्योंकि ट्रंप ने इन लॉबीज के सामने खड़े होने की हिमाकत की थी। हालांकि वो बाद में झुके, लेकिन तबतक देर हो चुकी थी।

न जानते हों तो जान लें, इन फार्मा कंपनियों का सालाना बिजनेस कम से कम 4 से 6 ट्रिलियन डॉलर का होता है, जिसमें से मोदी ने लगभग 1.25 ट्रिलियन डॉलर का इनका वैक्सीन बिजनेस छीन लिया, इसके अलावा 500 बिलियन डॉलर का PPE Kit और मास्क का बिजनेस भी लगभग जीरो कर दिया। तो भारत की मेडिकल क्षेत्र में आत्मनिर्भरता कैसे.? हमेशा हाथ फैलाने वाला देश वैक्सीन बांटने वाला देश हो गया.? क्या यह आसानी से पचने वाली बात थी.? जर्मनी ने तो अपनी पीड़ा खुलकर जाहिर भी कर दी थी कि "ड्रग के क्षेत्र में भारत ने हमें कैसे पछाड़ दिया.?

कारण और भी हैं..

भारत ने वैश्विक आयल_लाबी के मुंह पर करारा तमाचा मारते हुए अगले 2-3 सालों में इलॅक्ट्रिक वाहनों के लिये 75 हजार से 1 लाख चार्जिंग स्टेशन बनाने का लक्ष्य रखा है जिससे तेल की खपत 30% तक कम हो जायेगी। हम LCA लड़ाकू विमानों और ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात करने लगे हैं, क्या यह वैश्विक आर्म्स_लॉबी के लिये सुखद समाचार है.?

सभी परेशान हैं..मोदी इनकी राह का सबसे बड़ा कांटा है और वह ट्रंप की तरह झुक भी नहीं रहा है, तो क्या किया जाये.? लोकतांत्रिक देश में अंतिम और सबसे सशक्त हथियार है जनता का गुस्सा और अब देश व देश के बाहर के सारे मोदी विरोधी इसी अस्त्र को आजमाने में लगे हैं।

आज की तारीख में असम और बंगाल भारत के लिये कहीं न कहीं कश्मीर से भी अधिक महत्वपूर्ण हैं, न मानिये तो गूगल पर चिकन_नेक सर्च कर लीजिये फिर टीवी, न्यूजपेपर या सोशल मीडिया कहीं भी जाइये- असम और पश्चिम बंगाल में जनता मोदी की रैलियों और प्रचार को लेकर गुस्से में दिखायी जा रही है। कोई नहीं बताता कि पश्चिम बंगाल में डेढ़ करोड़ बांग्लादेशी व रोहिंग्या और असम में भी 40 लाख घुसपैठिये मेहमान बनाये जा चुके हैं और दीदी तथा गांधी जैसे लोग उनके आधार कार्ड भी बनवा चुके हैं।

फिर से कहूंगा कि कोरोना है और सतर्क रहिये, आपकी सरकार हर समय आपके साथ है। लेकिन इस चीनी बीमारी की दूसरी लहर का आतंक मोदी को हर मोर्चे पर विफल दिखाने और देश में सिविल_वार करवाने के लिये फैलाया जा रहा है। यह चीन और भारत में छिपे बैठे उसके स्लीपर सेल -वामपंथियों और अब कांग्रेसियों- का भी खतरनाक खेल है। विपक्षनीत सरकारों की मोदी सरकार के विरुद्ध महामारी सम्बन्धी नीच राजनीति और मीडिया का 24x7 लाशें व ऑक्सीजन की कमी दिखाना इसी घिनौने षड्यंत्र का एक हिस्सा है..

एक ही मां सैकड़ों की मां बन कर हजारों बार बिना आक्सीजन के कैसे मर रही है.? भीड़ केवल शमशान में ही क्यों दिख रही है.? एक ही खाली आक्सीजन सिलिंडर तमाम जगह क्यूं दिखायी दे रहा है.? अचानक ही किसान फिर से दिल्ली में क्यूं घुसने लगे हैं.?

क्रोनोलॉजी समझिये.. यह एक और टूल किट है जो फिर से सक्रिय हुई है। जैसे ही महाराष्ट्र में वसूली कांड खुला और मोदी बंगाल जीतते लगे, सबकी फट गयी कि अब क्या होगा.? और महामारी फिर से प्रकट हो गयी। हारे हुए नकारा लोगों ने अब अपना गैंग बना लिया है जो लगातार ऐसे षड्यंत्र करते ही रहेंगे और थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद यह लड़ाई अभी चलती ही रहेगी, जबतक हम-आप ऐसे देशद्रोहियों को उनके अंतिम अंजाम तक पहुंचा कर समाप्त नहीं कर देंगे..और यह करना ही होगा, अगर अपनी अगली पीढ़ी को फिर से गुलाम नहीं बनाना है तो..

मेरे विचार से पांच_राज्यों के आने वाले चुनाव_परिणाम स्पष्ट संकेत देंगे कि मोदी भी ट्रम्प जैसे अंजाम की ओर चल पड़े हैं, या संघर्ष में अभी भी हमारी अगुआई करेंगे.?! 

जय_हिंद

Friday, April 16, 2021

कोरोना और हमारी मानसिक दृढ़ता..

यह कटु तथा स्थापित सत्य है कि कोरोना है, लगभग सबको है और शायद रहेगा भी। परंतु कोरोना से जितना डरने की आवश्यकता है, उससे कहीं अधिक इससे सावधान रहने की भी जरूरत है और इसके लिये कुछ भ्रांतियों का निराकरण आवश्यक है।

अमेरिका में मृत्युदंड प्राप्त एक कैदी पर वैज्ञानिकों ने एक प्रयोग किया.. उसे बताया गया कि उसे फांसी देने की बजाय कोबरा से डसवा कर मारा जायेगा। नियत दिन पर उसके सामने एक भयानक विषधर किंग कोबरा लाया गया और कैदी की आंखों पर पट्टी बांधकर कुर्सी पर बैठा दिया गया। कैदी अपनी निश्चित मृत्यु की प्रतीक्षा में बैठा था तभी उसे एक साधारण सेफ्टी पिन चुभो दी गयी।
आश्चर्य, 2 सेकेंड में ही कैदी की तड़प कर मृत्यु हो गयी। तमाम वैज्ञानिक तब और आश्चर्यचकित रह गये जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके शरीर में कोबरा का जहर न्यूरोटॉक्सिन पाया गया।

अब प्रश्न यह उठा कि साधारण पिन से कैदी के शरीर में  विष कहां से आया जिससे कैदी की मृत्यु हुई.? विस्तृत जांच के बाद पाया गया कि वह घातक विष मानसिक तनाव और भय के कारण स्वयं कैदी के शरीर ने ही उत्पन्न किया था।

कथासार यह है कि हमारा शरीर हमारी अपनी मानसिक स्थिति के अनुसार स्वतः पॉजिटिव और निगेटिव एनर्जी उत्पन्न करता है और तदनुसार ही हमारे शरीर में हार्मोंस पैदा होते हैं।  लगभग 90% बीमारियों का मूल कारण नकारात्मक विचारों से उत्पन्न निगेटिव एनर्जी ही होती है, इसी प्रकार सकारात्मक विचार पॉजिटिव एनर्जी उत्पन्न करते हैं जो रोगों से लड़ने में सहायक होती है। कई बार रोगी अपने विश्वसनीय डॉक्टर के- "कोई चिंता की बात नहीं है.." कह देने भर से ही स्वस्थ अनुभव करने लगता है, यह उसका डॉक्टर के प्रति विश्वास -सकारात्मक विचार- ही होता है।

तो.. कोरोना को मन से न लगायें और आंकड़ों पर न जायें। टीवी, न्यूजपेपर्स या कहीं और से कोरोना सम्बन्धी खबरें देखने, पढ़ने या पता करने से परहेज करें, क्योंकि जितनी जानकारी आपको चाहिये थी वह आप जान चुके हैं, इससे अधिक जानकारी की आपको कोई आवश्यकता नहीं हैं।

ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि इस महामारी में नगण्य लोगों की मृत्यु घर पर हुई है। लगभग सभी अस्पताल में ही मरे हैं और वो केवल कोरोना से ही नहीं, बल्कि इसलिये मरे हैं क्योंकि उन्हें अन्य बीमारियां भी थीं, जिनका मुकाबला वो नहीं  कर सके। इसमें भी अस्पताल का वातावरण और उससे उत्पन्न मन का भय -नकारात्मक उर्जा- प्रमुख कारण है।

5 से 80 वर्ष तक के लगभग सारे लोग निगेटिव हो चुके हैं, 65 प्रतिशत लोग व्यवस्थित हैं और देश में कोरोना वैक्सिनेशन का काम तेजी से चल रहा है। इसलिये मास्क का प्रयोग करें, स्वच्छता रखें और अपने विचार सकारात्मक रखें। दृढ़ विश्वास रखें और दूसरों को भी विश्वास दिलायें कि यह समय बीत जायेगा और अतिशीघ्र सब ठीक हो जायेगा..! 👍

#Be_Positive, #Be_Healthy 💐